जितना पलायन विश्वनाथ ओक्टे के कार्यकाल में उतना कभी नहीं हुआ
अक्षर भास्कर डिजिटल, छिंदवाड़ा। अब तक कांग्रेस ने छिंदवाड़ा में कई इतिहास रचे। सबसे अधिक बार कमलनाथ सांसद रहे। जिले से पहले सीएम भी कमलनाथ रहे। 18 वर्ष तक लगातार भाजपा सरकार के रहते हुए भी छिंदवाड़ा की सातों सीट पर कांग्रेस ने विजयी पताका लहराई…वगैरह…वगैरह।
इतिहास रचने की इस फेहरिस्त में एक और इतिहास रचा गया है। यह रचा गया है जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विश्वनाथ ओक्टे के कार्यकाल में। भविष्य में जब भी कांग्रेस में पलायन की बात होगी तो विश्वनाथ ओक्टे का अध्यक्षीय कार्यकाल जरूर याद किया जाएगा।
जिले में जितना पलायन विश्वनाथ ओक्टे के अध्यक्ष रहते कांग्रेस में हुआ है उतना कभी नहीं हुआ। अब इसे कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों की नाराजगी समझी जाए या मजबूरी कि वे 40-40 वर्षों तक कांग्रेस को सेवाएं देने के बावजूद दल बदलने मजबूर हो गए। लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस के ही कुछ कार्यकर्ता इसे जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विश्वनाथ ओक्टे के मिस मैनेजमेंट को बता रहे हैं।
वे दल बदलने वालों को कन्वेंस नहीं कर पाने में सफल नहीं हो सके। इसके पीछे का कारण कांग्रेसी सूत्र बताते हैं कि विश्वनाथ ओक्टे का व्यवहार अध्यक्ष बनने के बाद ‘मंत्रियों’ की तरह हो गया है।
वे कार्यकर्ताओं के फोन नहीं उठाते, सतत् संपर्क में नहीं रहते। कार्यकर्ताओं को समय नहीं देते।
इसका खामियाजा कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि विश्वनाथ ओक्टे ने हमेशा उन युवाओं को आगे किया जो उनके इर्द-गिर्द नजर आते थे।
वर्षों से मैदान में रहकर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को उन्होने कभी ‘भाव’ ही नहीं दिया।
इन्ही सब कारणों के चलते आज कांग्रेस में पलायन के लिए भी ‘होड़’ मची हुई है। पूर्व विधायक हों या पार्षद कोई उनकी मानने को तैयार नहीं है।
दो पार्षद भाजपा के संपर्क में
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दो पार्षद भाजपा के संपर्क में हैं। हो सकता है कि वे चुनावों से पहले भाजपा ज्वाइन कर लें। गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस के सात पार्षदों ने भोपाल में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा के समक्ष कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था।