सेल्समैन की तानाशाही से हितग्राही परेशान
अनुविभागीय अधिकारी से सेल्समैन को हटाने की लगाई गुहार
महेंद्र सूर्यवंशी, जुन्नारदेव। जुन्नारदेव जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत बिलावर कला की शासकीय राशन दुकान अधिकांशत: सुर्खियों में रहती है। सेल्समैन के द्वारा कई वर्षों से शासकीय राशन दुकान में अनाज का गोलमाल किया जा रहा है जिसके चलते बिलावर कला के ग्रामीण खासे परेशान हैं।
ग्रामीण जब उससे राशन मांगते हैं तो वह उन्हें राशन की जगह सलाह देता है कि शादियों का सीजन चल रहा है, पंडालों में घुसकर खाना खा लिया करो, राशन की क्या जरूरत है।
अभी हाल ही में फिर बिलवारा कला चर्चाओं में हैं। बताया जाता है कि शासकीय राशन दुकान के सेल्समैन शहजाद (मुगल) खान के द्वारा उचित मूल्य की दुकान पर आने वाले हितग्राहियों से मशीन पर अंगूठा लगवा लेता था और हितग्राहियों को उनके नियम अनुसार राशन वितरित नहीं करता था।
इस समस्या के चलते बिलावर कला के ग्रामीणों ने जुन्नारदेव एसडीएम नेहा सोनी को ज्ञापन सौंपा। बिलावर कला निवासी गोपाल धुर्वे, राजेश आमेर, ललित आहके, सुरेंद्र कावरेती अनीता, सुनीता, चित्रा कावरेती, रामदयाल राकेश बरसिया, संजू परतेती और अन्य हितग्राहियों ने ज्ञापन में बताया कि सोसायटी संचालक के द्वारा हितग्राहियों से न सिर्फ अभद्र व्यवहार किया जाता है बल्कि जाति सूचक शब्दों का उपयोग भी किया जाता है।
जब इसका विरोध द्वारा किया जाता है तो विरोध करने वालों को राशन देने से साफ इनकार कर दिया जाता है। शिकायत में बताया गया कि लगातार शिकायत करने के बाद जब फूड इंस्पेक्टर ने मामले की जांच की तो बिलावर कला की सोसाइटी में 204 क्विंटल खाद्यान्न वितरण केंद्र में स्टॉक होना था जो की जांच के दौरान उपलब्ध नहीं था।
वहीं जांच के दौरान पता चला था कि बगल की किराना दुकान से हितग्राहियों को शक्कर बांटने के लिए खरीदी गई थी। अब सवाल यह उठता है कि शासन के द्वारा जो खाद्यान्न सामग्री सोसाइटी में पहुंचाई गई थी वहां कहां गायब हो गई।
साठगांठ से चल रहा है बड़ा खेल
सोसायटी सेल्समैन के द्वारा हितग्राहियों को कहा जाता है कि अभी शादी विवाह का सीजन चल रहा है। राशन दुकान पर नहीं आ रहा है तो आप लोग शादी विवाह के पंडाल में जाकर भोजन कर लें।
इतना ही नहीं सोसायटी संचालक शहजाद खान के द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग तो किया ही जाता है साथ में अपनी राशन दुकान पर आने वाले अनाज और शक्कर को बिचौलियों खरीददारों को बेच देता है और जब बात शिकायत की आती है तो सोसायटी संचालक आसपास की दुकानों पर बेची गई शक्कर या राशन पुन: खरीद कर फिर हितग्राहियों को बांटने लगता है।