परासिया के स्टेशनरी संचालक ने किया गोरखधंधे का भंडाफोड़, कलेक्टर से शिकायत
Chhindwara News : छिंदवाड़ा। परासिया में स्थित खंडेलवाल बुक डिपो के संचालक ने अनूप खंडेलवाल ने स्कूलों के कॉपी-किताबों में चल रहे कमीशन के गोरखधंधे का भंडाफोड़ कर दिया है।
संभवत: यह पहला मामला है जब किसी बुक डिपो संचालक ने ही स्टेशनरी को लेकर अभिभावकों से की जा रही लूट का मामला उजागर किया है।

उन्होने मामले की पूरी परतें खोल कर रख दी हैं। उनके खुलासे से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन की नाक के नीचे अभिभावकों से खुली लूट की जा रही है और जिम्मेदार अनजान बने बैठे हैं।
फर्जी बुक छापी जा रहीं
अनूप खंडेलवाल ने एक पत्रकार वार्ता में बताया कि परासिया में एक पब्लिकेशन हाउस चलाया जा रहा है जो फर्जी काम कर रहा है।
इमर्जिंग पब्लिकेशन के नाम से चल रहे इस पब्लिकेशन हाउस का संबंध परासिया के नामचीन व्यक्ति पिंकेश पटेरिया से है जो न सिर्फ सर्वोत्तम स्टेशनरी का संचालक है बल्कि लायंस क्लब का भी पदाधिकारी है।
उक्त व्यक्ति इस गोरखधंधे में भी लिप्त है। अनूप खंडेलवाल ने कुछ किताबें भी दिखाई जिनका अंदर का मटेरियल पूरी तरह एक जैसा है सिर्फ कवर बदलकर पब्लिकेशन हाउस का नाम बदल दिया गया है।
इसके अलावा आईएसबीएन नंबर भी बदल दिए गए हैं।
उन्होने ऐसी कई किताबें दिखाईं जो इस प्रकार चलाई जा रही हैं।
उन्होने बताया कि ये किताबें पूरे बाजार में कहीं भी अभिभावकों नहीं मिलेंगी।

ऐसे की जाती है ‘सेटिंग’
अनूप खंडेलवाल ने बताया कि स्कूल और पब्लिकेशन हाउस के बीच कमीशन को लेकर करार होता है। इसमें पब्लिकेशन हाउस स्कूल संचालक को 50 से 70 प्रतिशत तक कमीशन देता है।
उसके बाद स्कूल संचालक बताता है कि किस बुक स्टोर को ये किताबें बेचने के लिए देना है।
स्कूल संचालक द्वारा बताए गए बुक स्टोर संचालक को 10 से 15 प्रतिशत कमीशन पर पब्लिकेशन हाउस किताबें उपलब्ध करवा देता है।
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अब ये किताबें सिर्फ उसी एक दुकान पर मिलेंगी बाकी बाजार में ये किताबें अभिभावकों को नहीं मिलेंगी।
इससे अभिभावक उसी दुकान से मनमाने दामों पर किताबें लेने मजबूर हो जाते हैं।
नियम स्कूल संचालक के ‘बैग’ में!
उक्त सेटिंग के चलते प्रशासन का वह नियम भी मायने नहीं रखता जिसमें कहा गया है कि स्कूल संचालक को उन तीन दुकानों के नाम बताना होगा जहां उसके स्कूल की किताबें मिलेंगी क्योंकि स्कूल संचालक तीन दुकानों के नाम तो उपलब्ध करवाता है पर किताबें एक ही दुकान पर मिलती हैं।
यह भी जांचने का समय प्रशासन के नुमाइंदों के पास नहीं होता।
जबलपुर में कार्रवाई, छिंदवाड़ा में ‘राम राज्य’
इस मामले में छिंदवाड़ा में लगता है ‘राम राज्य’ चल रहा है।
अभिभावकों के बार-बार आवाज उठाने के बावजूद प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती।
लिखित शिकायत पर प्रशासन के नुमाइंदे शिकायतकर्ता को ऐसे घूरते हैं जैसे उसने शिकायत नहीं बड़ा पाप कर दिया हो।
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सीएम हेल्पलाइन को फोर्स क्लोज कर दिया जाता है।
दूसरी ओर जबलपुर में इस मामले पर धड़ाधड़ कार्रवाई की जा रही है।
बुक स्टोर संचालकों से कमीशनखोरी के कागज जब्त हो रहे हैं। अधिक फीस वसूलने पर एफआईआर तक हो रही हैं लेकिन छिंदवाड़ा में सब ‘राम राज्य’ का सुख भोग रहे हैं। क्योंकि प्रशासन के पास कार्रवाई की इच्छाशक्ति नहीं बची और अभिभावक बेबस होकर लुटा जा रहा है।
इस मामले में अब अभिभावकों में आक्रोश पनप रहा है। इसका नतीजा जल्द ही सामने आने के संकेत मि रहे हैं।
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