सीएमएचओ से डॉ. दुष्यंत बक्षी ने की शिकायत
Complaint : छिंदवाड़ा। परासिया तहसील के ग्राम खिरसाडोह में संचालित एक फिजियोथेरेपी क्लिनिक को लेकर
सीएमएचओ से शिकायत की गई है। शिकायत डॉ. दुष्यंत बक्षी ने की है जो पेशे से फिजियोथैरेपिस्ट हैं।
उनकी शिकायत के बाद जिले के स्वास्थ्य सिस्टम पर भी सवाल उठने लगे हैं।
उन्होने अपनी शिकायत में कहा है कि खिरसाडोह में एक फिजियोथैरेपी सेंटर संचालित किया जा रहा है जो कि अब अवैध है।
डॉ. बक्षी के अनुसार उसका संचालन पूर्व में उनके ही द्वारा 26 जनवरी 2025 से 15 मार्च 2025 तक किया गया था।
उन्होने शिकायत में लिखा है कि 1 अप्रैल 2025 को उन्होने सीएमएचओ को आवेदन देकर सूचित किया था कि
उक्त क्लिनिक का संचालन डॉ. बक्षी पूर्णत: बंद कर दिया है एवं क्लिनिक पंजीयन हेतु किया गया ऑनलाइन
आवेदन भी वापस ले लिया है। इसके बावजूद क्लीनिक का संचालन जारी है।
उन्होने बताया कि उक्त क्लिीनिक का संचालन अब मुकुल गुंजीकर नामक व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है,
जो स्वयं को ‘डॉ.’ के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, जबकि उसके पास न तो किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से
फिजियोथेरेपी की डिग्री है, न प्रशिक्षण, और न ही कोई पंजीयन।
पिता की छत्रछाया में गलत काम!

शिकायत में डॉ. बक्षी ने लिखा है कि सबसे गंभीर तथ्य यह है कि यह सब कुछ मुकुल के पिता लक्ष्मीकांत गुंजीकर
की छत्रछाया में और उनकी जानकारी में हो रहा है। लक्ष्मीकांत गुंजीकर स्वयं वरिष्ठ फिजियोथेरेपिस्ट हैं और वे
जानबूझकर अपने पुत्र को अपने नाम और प्रतिष्ठा का दुरुपयोग कर बिना वैधानिक योग्यता के मरीजों का इलाज
करने दे रहे हैं, जो न केवल अनैतिक है, बल्कि आपराधिक श्रेणी में आता है।
लगाए गंभीर आरोप

उक्त क्लिनिक से संबंधित में डॉ. बक्षी ने शिकायत में गंभीर आरोप लगाए हैं।
उनके अनुसार यह क्लिनिक पूर्णत: अवैध है और इसका कोई वैध पंजीयन नहीं है, न ही यहां कोई पंजीकृत डॉक्टर है,
आज की तारीख में स्वयं डॉक्टर लक्ष्मीकांत गुंजीकर के पास भी क्लिनिक के संचालन हेतु किसी भी
मेडिकल काउंसलिंग का कोई भी वैध प्रमाण पत्र नहीं है। उन्होने कहा है कि उनके नाम का बोर्ड अब तक
क्लिनिक पर लगा हुआ है, जबकि उन्होने पूर्व में सीएमएचओ को सूचित किया है कि उनका इस क्लिनिक से
कोई संबंध नहीं है। उन्हें कई बार कहने के बावजूद यह बोर्ड हटाया नहीं गया है।
उक्त क्लिनिक में लेजर थेरेपी, इलेक्ट्रोथेरेपी आदि जैसे उन्नत उपचार बिना किसी विशेषज्ञता के किए जा रहे हैं,
जिससे मरीजों पर प्रतिकूल प्रभाव भी देखे गए हैं। यह क्लिनिक अब एक अस्पताल नहीं बल्कि अवैध प्रयोगशाला बन गया है,
जहां बिना योग्य चिकित्सकीय निगरानी के मरीजों पर उपचार के नाम पर जोखिमपूर्ण प्रयोग किए जा रहे हैं।
शिकायत में उन्होने लिखा है कि लक्ष्मीकांत गुंजीकर अपने अनुभव एवं पद का गलत उपयोग करते हुए अपने
अपात्र पुत्र मुकुल गुंजीकर को इस अवैध कार्य में सहयोग और संरक्षण प्रदान कर रहे हैं।
उनकी जिम्मेदारी इस पूरे मामले में प्रत्यक्ष रूप से बनती है।
डॉ. बक्षी ने इस मामले में सीएमएचओ से कार्रवाई की मांग की है।
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