कमलनाथ जानते हैं; कैसे ‘लाइम लाइट’ में आना है…!

प्रदेश अध्यक्ष पद गया, सरकार है नहीं, बनने की फिलहाल उम्मीद भी नहीं, राष्ट्रीय से प्रदेश की राजनीति में आए लेकिन अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली…

अक्षर भास्कर डिजिटल, छिंदवाड़ा। वो कहते हैं न कि हर किसी का एक ‘दौर’ आता है, कमलनाथ का भी दौर आया लेकिन अब बीतते वक्त के साथ उनका सूरज ‘ढलता’ नजर आने लगा है।

कारण कई हैं…हाल की बात करें तो उनका भाजपा में शामिल होने का ‘फंडा’ फेल हो गया। लगभग एक माह तक वे मीडिया की सुर्खियां बटोरते रहे लेकिन आखिर में भाजपा की ‘न’ के बाद ‘काल्पनिक’ परिस्थितियों से निकलकर वे अपने ‘मूल’ में लौट आए।

इसके पीछे का कारण बताया जा रहा है कि केंद्र की राजनीति को लेकर वे समझ गए थे कि अब कांग्रेस का ‘कुछ नहीं होना’ है। इस समझ के चलते उन्होने प्रदेश का रुख किया। मेहनत की और सरकार भी बना ली लेकिन ‘महत्वाकांक्षाओं’ ने उन्हें यहां भी नहीं छोड़ा और ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण उनकी सरकार गिर गई।

पिछले विधानसभा चुनावों में सरकार बनने की पूरी आस उन्हे थी लेकिन ये आस नतीजों के साथ औंधे मुंह गिर गई। ऊपर से आलाकमान ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया। इससे ज्यादा अपमान शायद ही उन्होने अपने जीवनकाल में कांग्रेस में सहन किया होगा।

जिन इंदिरा गांधी ने कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा कहा, जिन संजय गांधी ने उन्हें भाई माना, संजय के लिए वे जेल यात्रा तक कर आए, उन इंदिरा की बहू और नाती ने उन्हे कांग्रेस में हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया…तो तकलीफ होना लाजमी है।

इतना सब कुछ होने के बाद कमलनाथ मीडिया के ‘मुहाने’ से गायब होने लगे थे। उन्हें यह बिल्कुल भी गवारा नहीं था कि मीडिया उन्हें इग्नोर करे। इसके चलते उनके भाजपा में शामिल होने को लेकर ‘हवाएं’ उडऩे लगीं जिसे मीडिया ने ‘कैच’ कर लिया। यही कमलनाथ चाहते थे।

कमलनाथ ने इसका पूरा फायदा उठाया और इस दौरान उन्होने एक भी ऐसा बयान मीडिया को नहीं दिया जिससे यह साबित हो कि कमलनाथ भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं। उन्होने इन सुर्खियों के बीच ऐसे बयान दिए जिससे मीडिया कन्फ्यूज रहे। खबरें ‘अंदाजन’ चलती रहें।

इससे वे ‘लाइम लाइट’ में आ गए और वे जो ‘चाह’ रहे थे वह हो गया। बताया गया कि राहुल गांधी ने उनसे फोन पर बात की और उनसे कांग्रेस में बने रहने की अपील की। राहुल गांधी ने उनसे कहा कि- आपने कांग्रेस को इतना कुछ दिया है तो आप कैसे कांग्रेस छोड़ सकते हैं। बस यही पूरे घटनाक्रम की ‘पराकाष्ठा’ थी।

कमलनाथ एक बार खुद को ‘पावर’ में समझने लगे और उनकी ‘महत्वाकांक्षा’ पूरी हो गई। गांधी परिवार ने उन्हे ‘भाव’ दिया और वे राहुल गांधी की यात्रा संबंधी व्यवस्थाएं को लेकर प्रदेश कांग्रेस की बैठक में शामिल हुए।

इस बैठक में शामिल होकर उन्होने ‘कांग्रेसियों’ को यह संदेश दिया कि वे कांग्रेस में ही रहेंगे। अब छिंदवाड़ा दौरे में उन्होने एक बार फिर भावुक बयान दिया है।

उन्होने कहा है कि ‘मैं विदा होने के लिए तैयार हूं, खुद को थोपना नहीं चाहता हूं’ इस बयान के बाद उन्होने एक बार फिर मीडिया को अपनी ओर ‘आकर्षित’ किया है। अब वे फिर सुर्खियां बटोर रहे हैं। कुल मिलाकर बात करें तो कमलनाथ को पता है कि कैसे ‘लाइम लाइट’ में आना है…

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