भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कमल नाथ के हवाले से कहा कि मेरी उनसे बात हुई है। उन्होंने कहा कि जो बातें मीडिया में आ रही हैं, सब भ्रम है। मैं कांग्रेसी था, हूं और रहूंगा। लोकतंत्र में हार-जीत लगी रहती है। हर परिस्थिति में उन्होंने दृढ़ता के साथ कांग्रेस के विचार के साथ जीवन जिया है और आगे भी कांग्रेस के विचारों के साथ अंतिम सांस तक जीवन जीएंगे।यह भावना उनकी है, जो उन्होंने मुझे यह कही है। पटवारी ने कहा कि कमल नाथ के विरुद्ध षडयंत्र चल रहा है। भारतीय जनता पार्टी मीडिया-इंटरनेट मीडिया का दुरुपयोग कर कुचक्र चला रही है। किसी व्यक्ति की इतने सालों की निष्ठा पर कैसे सवाल खड़े किए जाते हैं, यह उसका एक उदाहरण है। कमल नाथ के स्थान पर उनके (पटवारी) द्वारा खंडन किए जाने पर कहा कि समय आने पर वे भी सामने आएंगे।उधर, प्रदेश कांग्रेस ने सिंधिया के साथ और अलग-अलग समय पर पार्टी छोड़कर भाजपा जाने वालों की एक सूची जारी की है। इसमें बताया गया कि कुछ नेताओं को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर हाशिए पर हैं।
अटकलों के बीच दिग्विजय सिंह का दावा, मुझे नहीं लगता कमल नाथ पार्टी छोड़ेंगे
भोपाल में रविवार को मीडिया से चर्चा में दिग्विजय सिंह ने कहा कि कमल नाथ ने कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। हम सभी उन्हें इंदिरा गांधी का तीसरा सुपुत्र मानते हैं और उन्होंने हमेशा कांग्रेस का साथ दिया है। वे कांग्रेस के स्तंभ रहे हैं। कांग्रेस में उन्हें हर पद मिला है। केंद्रीय मंत्री रहे, एआइसीसी में महामंत्री रहे, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और यहां के मुख्यमंत्री भी रहे। मुझे नहीं लगता कि वे पार्टी छोड़ेंगे। बता दें कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी कमल नाथ के भाजपा में जाने की अटकलों को खारिज कर चुके हैं।
विधायक असमंजस में
इस बीच, कमल नाथ के नजदीकी लोग भी विधायकों से संपर्क कर रहे हैं। कुछ विधायकों को दिल्ली पहुंचने के लिए भी कहा गया है, पर वे असमंजस में हैं। दरअसल, अब तक कमल नाथ ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यही कारण है कि विधायक भी खुलकर कुछ नहीं कर रहे हैं। अभिजीत शाह सहित कई विधायकों ने तो साफ कर दिया है कि वे कांग्रेस के साथ हैं।
दोपहर तक नहीं खुले प्रदेश कांग्रेस के दरवाजे
कांग्रेस में मची सियासी हलचल के बाद भी रविवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के दरवाजे दोपहर तक नहीं खुले। राज्यसभा के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी अशोक सिंह जब पहुंचे तो उन्होंने दरवाजे बंद देख कर्मचारियों को बुलवाया और फिर दरवाजे खुले। वे बाहर ही कार्यकर्ताओं के साथ कुछ देर बैठे रहे और चले गए।