मरीज के साथ लापरवाही बरतने के लगे आरोप
Controvercy : केवलारी। सिविल अस्पताल केवलारी में कुछ ही समय पूर्व पदस्थ चिकित्सक की कार्यप्रणाली
विवादों में आ गई है। ये वही चिकित्सक हैं जिन्हे एक बड़े सर्वदलीय उग्र आंदोलन के बाद लांजी
सिविल अस्पताल से हटाया गया था। बीएमओ डॉ. प्रदीप गेडाम और डॉ. श्रीमती सुजाता गेडाम की पदस्थापना
केवलारी नगर के सिविल अस्पताल में होते ही, यहां पर भी उनकी कार्यप्रणाली विवादों में घिर गई है।
गौरतलब है कि लांजी नगर परिषद के सिविल अस्पताल में पदस्थ डॉ. गेडाम दंपति द्वारा लांजी में दवाइयां
में कमीशन बाजी, डिलीवरी कराने में रुपयों की मांग, जैसे गंभीर आरोपों के चलते वहां के नगर वासियों ने
एक उग्र आंदोलन करके इन्हें वहां से हटवाया था। जब वहां से हटाया गया तो इन्होंने केवलारी सिविल
अस्पताल में सिवनी जिले के पूर्व जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जोड़तोड़ से अपनी पद स्थापना, केवलारी
नगर में स्थित सिविल अस्पताल में करवाने में सफल हुये, परन्तु यहां पर उन्होंने कुछ ही समय में अपने
पुराने लांजी वाले रवैया से कोई भी सबक न लेते हुए यहां पर भी अपना वही रवैया चालू रखा।
जिसके चलते आज केवलारी नगर के समीपस्थ ग्राम परासपानी के एक नवयुवक आकाश यादव पिता
सुखचैन यादव जो अर्धचेतना बेहोशी की हालत में था। उस नवयुवक को लेकर गांव के ही समाजसेवी,
नवयुवकों प्रांशु बघेल, मोहित बघेल, और निशांत बघेल के द्वारा सिविल अस्पताल लाया गया।
जब सिविल अस्पताल लाया गया तो वहां पर ड्यूटी समय में डॉ. सुजाता गेडाम अनुपस्थित पाई गई।
जब उन्हें स्टाफ के द्वारा बुलाया गया तो वह नहीं आई। जब उन्हें फोन लगाया गया तो फोन उनको नहीं लगा।
जिस पर इन नवयुवक समाजसेवियों ने इस जानकारी की घटना की जानकारी कलेक्टर को दी गई तब
कलेक्टर ने सीएमओ को निर्देशित किया। सीएमओ के द्वारा बीएमओ को निर्देशित किया गया।
तब डॉ. सुजाता गेडाम अस्पताल आईं और आते ही उस युवक का बिना उपचार किये जिला अस्पताल
रेफर बनाते हुए, अपने सरकारी घर चली गई। उस समय बीएमओ डॉ. ए लाकरा, तहसीलदार शशांक मेश्राम,
थाना प्रभारी शिवशंकर रामटेकर, शक्ति शुक्ला आदि अधिकारी भी उपस्थित थे। जिससे उपस्थित ग्रामीणों में
भारी आक्रोश व्याप्त हो गया। उस समय बीएमओ डॉ. ए लाकरा ने तत्परता दिखाते हुए नवयुवक का
इलाज प्रारम्भ किया तब जाकर युवक को होश आया। डॉ. सुजाता गेडाम के द्वारा अपने कर्तव्यों से विमुख
होते हुए ड्यूटी समय को छोड़कर अपने घर चले जाना कहां तक उचित समझा जाना चाहिए।
ओपीडी पर्ची में बाजार की भारी कमीशन वाली दवाओं का लिखना-वैसे भी अभी कुछ दिनों से केवलारी नगर
में जन चर्चा का विषय बना हुआ है कि अस्पताल में आए हुए मरीजों को डॉक्टर सुजाता गेडाम के द्वारा
अनाप-शनाप भारी कमीशन वाली दवाइयां लिखी जाती हैं और केवलारी नगर के दो मेडिकल स्टोर का नाम
लेकर उन मेडिकल स्टोर से दवा लाने के लिये मरीजों पर दबाव बनाती हैं। यहां प्रश्न है कि जब सरकार के
द्वारा सरकारी डॉक्टरों को अस्पताल समय में अस्पताल में उपलब्ध दवाइयां के अतिरिक्त दवाइयां को
नहीं लिखने का निर्देश है तो फिर ऐसे में दो ढाई हजार की दवाइयां डॉ. गेडाम दंपत्ति के द्वारा लिखकर
मरीज को दो खास मेडिकल स्टोर में बोलकर भेज कर मरीज को कहकर बुलवाई जाती हैं।
पैथालॉजी जांच
डॉ. सुजाता गेडाम सरकारी अस्पताल की जांच को मरीजों से कहती हैं कि यहां की रिपोर्ट सब फालतू हैं।
ऐसा कहकर वह है मरीजों को एक व्यक्ति विशेष के पैथोलॉजी वाले को अस्पताल में ही बुलाकर उस मरीज
की खून की जांच करवाई जाती है और इन पैथोलॉजी वाले को अपने सामने से जांचों की फीस दिलवाती हैं।
डॉ. सुजाता गेडाम और डॉ. प्रदीप गेडाम के द्वारा लिखी गई दवाइयां पूरे नगर में 16 से 17 मेडिकल स्टोर है
जिनमें से मात्र दो मेडिकल में उनकी दवाइयां मिलती हैं। जिससे भारी कमीशन खोरी की बात जनचर्चा में निकलकर आती है।
गर्भवती महिलाओं की भी जांच करते समय उन महिलाओं को अपने घर में आकर जांच कराने और
इलाज करने के लिए साथ में ले जाती हैं। ऐसी भी जन चर्चा का विषय है डॉ. प्रदीप गेडाम की पद
स्थापना सिवनी जिला चिकित्सालय में है। परंतु उन्हें किन आदेशों के तहत सिविल अस्पताल में
पदस्थ करके रखा गया है। ऐसे में आम नागरिकों ने प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव,
स्वास्थ्य मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल भोपाल, सिवनी जिला कलेक्टर सुश्री शीतला पटले,
जिला सीएमओ स्वास्थ्य विभाग सिवनी से शीघ्र ही ऐसे विवादित डॉक्टर दंपती की जांच कराकर,
कानूनी रूप से उचित कार्यवाही करके केवलारी सिविल अस्पताल से हटाने की मांग की गयी हैं।
अन्यथा किसी भी दिन आमजनता को उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
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