Arbitrary : काम्पलेक्स बिकेगा तब बढ़ाएंगे मजदूरी !

परासिया नपाध्यक्ष और सीएमओ का हड़ताली कर्मचारियों को अजब जवाब

Arbitrary : छिंदवाड़ा। लंबे समय से विवादों में बनी परासिया नगर पालिका में अब एक और मामला चर्चाओं में है।

यहां पिछले सात दिनों से लगभग 20 सफाई कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं।

इन कर्मचारियों की मांग है कि इन्हे दी जाने वाली दैनिक मजदूरी की दर 200 रुपए रोजाना से बढ़ाकर कलेक्टर रेट से की जाए।

आश्चर्य की बात तो ये है कि इनकी सुध लेने किसी को फुर्सत नहीं है।

हड़ताली कर्मचारियों ने बताया कि उन्होने मजदूरी दर बढ़ाने के लिए 29 अप्रैल को

नगर पालिका अध्यक्ष विनोद मालवीय और सीएमओ साक्षी वाजपेयी को ज्ञापन सौंपा था।

ज्ञापन में कहा गया था कि सफाई कर्मचारी बीते लगभग 8 वर्षों से 200 रुपए रोजाना की दर पर काम कर रहे हैं।

इसमें से भी ईपीएफ कटने के बाद 5 हजार 280 रुपए उनके हाथ आते हैं जिसमें घर चलाना

और बच्चों की पढ़ाई संभव नहीं हो पा रही है।

दोनों जिम्मेदारों ने इस विषय पर किसी प्रकार की सहमति बनाने का प्रयास न करते हुए

कर्मचारियों को दो टूक जवाब दे दिया कि नगर पालिका जो काम्पलेक्स बना रही है वह बिकेगा

उसके बाद मजदूरी बढ़ाई जाएगी। इस बेतुके जवाब के बाद कर्मचारी हड़ताल पर चले गए।

ये हैं हड़ताल पर

जो कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं उनमें नंदकिशोर बावरिया, दिमागचंद मुरेला, पिंटू बेन, विनीत बारुआ,

राजा प्रकाश मुरेला, रामजी तिरमोलिया, विजय मानक, एमकुमार सिरमोले, लीला बिहारी,

रविकांत वर्मा, महेंद्र दुर्जन, प्रदीप बावरिया, दुर्गेश खपडिय़ा, राजा जावरे, सचिन हेड़ी,

अमन सल्लाम, आशीष खेर, पुरुषोत्तम आनंदी, चंद्रशेखर रामचरण आदि शामिल हैं।

नपाध्यक्ष के वाहन का खर्च 50 हजार से ज्यादा

यहां विचारणीय बात ये है कि परासिया नगर पालिका से अध्यक्ष विनोद मालवीय को चौपहिया वाहन मिला हुआ है।

यह संभवत: जिले में इकलौते नपाध्यक्ष हैं जिन्हें वाहन सुविधा मिली है।

बताया जाता है कि इनके वाहन का खर्च नगर पालिका उठाती है जो कि 50 हजार रुपए महीने से भी अधिक होता है।

दूसरी ओर नगर पालिका के कर्मचारी महज 200 रुपए रोजाना में सफाई का काम करने मजबूर हैं

और उनकी कोई सुनवाई भी नहीं हो रही।

कलेक्टर का आदेश हाशिए पर!

परासिया नगर पालिका में कलेक्टर के आदेश का भी पालन नहीं करवाया जा रहा है।

कलेक्टर ने बीते वर्ष आदेश जारी करते हुए अकुशल, कुशल, अर्धकुशल, उच्च कुशल आदि मजदूरों

को दिए जाने वाली दैनिक मजदूरी की दरें लागू करने के आदेश दिए थे लेकिन परासिया नपाध्यक्ष

की मनमानी के चलते कलेक्टर के आदेश को भी हाशिए पर रख दिया गया।

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