महेश्वर के सहस्त्रार्जुन मंदिर की झलक दिख रही महाराजा के पंडाल में
Chhindwara News : छिंदवाड़ा। कलेक्ट्रेट बंगले के पास पुराना गौरैया नाका पर छिंदवाड़ा के महाराजा की मनमोहक,
सुंदर प्रतिमा को आकर्षक रूप में स्थापित किया जा रहा है जिसमें महाराजा अपने शाही अंदाज में नजर आएंगे।
महेश्वर के प्रसिद्ध सहस्त्रबाहु अर्जुन मंदिर की जर्त पर इस बार छिंदवाड़ा के महाराजा की झांकी बनाई गई है।
समिति कोषाध्यक्ष डॉ. चंद्रकांत विश्वकर्मा ने बताया कि नर्मदा तट पर स्थित महेश्वर के सुप्रसिद्ध सहस्त्रबाहु अर्जुन मंदिर की प्रतिकृति झांकी छिंदवाड़ा के महाराजा के पंडाल में नजर आएगी,
जो कि प्राचीन मंदिर के रूप में होगी महेश्वर का यह मंदिर हजारों साल पुराना है।
उन्होने बताया कि सहस्त्रार्जुन की राजधानी माहिष्मती थी, जो आज मध्य प्रदेश के महेश्वर के नाम से जानी जाती है।
यह नगर नर्मदा नदी के किनारे बसा था।
सहस्त्रार्जुन, हैहय वंश के राजा थे।
उन्हें कार्तवीर्य अर्जुन और सहस्रबाहु अर्जुन के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि सहस्त्रार्जुन और रावण के बीच का प्रसिद्ध युद्ध महेश्वर में ही हुआ था।
इस युद्ध में रावण की हार हुई थी।
सहस्त्रार्जुन के माता-पिता रानी पद्मिनी और महाराज कृतवीर्य थे।
सहस्त्रार्जुन को तंत्रशास्त्र का आचार्य माना जाता है।
समिति सदस्य भी उसी तर्ज पर श्री छिंदवाड़ा के महाराजा का पंडाल तैयार किया गया हैं।
10 दिनों तक होंगे विभिन्न आयोजन
छिंदवाड़ा के महाराजा का यह 13वां वर्ष होगा।
प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी पूजा पंडाल में संतान सप्तमी के दिन गोद भराई रस्म होगी।
राधा अष्टमी कार्यक्रम एवं समिति का यह प्रयास होता है कि बच्चों के मन में गणेश भक्ति की अविरल धारा को प्रवाहित करने हेतु शहर के स्कूलों कॉलेजों से बच्चों को आमंत्रित किया जाता है,
एवं उन्हें महाराजा के दर्शन करा कर उन्हें महाराजा के पंडाल में फैंसी ड्रेस, ड्राइंग, पेंटिंग, चित्रकला आदि प्रतियोगिता में भाग लेने उत्साहित किया जाता है।
छात्र-छात्राओं द्वारा महाराजा के पंडाल में भजन कीर्तन किया जाता है एवं साथ में मंडलियां भी कीर्तन करती हैं।
संपूर्ण पंडाल के साथ-साथ पंडाल की व्यवस्था के लिए सभी सेवादार अपनी अपनी जिम्मेदारी संभालते हैं।
बगैर लाइन लगाए होते हैं गणेश दर्शन
लगातार 12 वर्षों से एक ही आसन पर स्थापित हो रहे है प्रभु गणेश के पंडाल में किसी भी भक्त को लाइन लगाने की जरूरत नहीं होती है।
यह ऐसा पंडाल है जिसमें समिति द्वारा प्रतिदिन अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गीतकार महाराजा के दरबार में अपने सुमधुर आवाज से भजन की प्रस्तुति देते हैं एवं विभिन्न सामाजिक संगठन,
धार्मिक एवं समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा वाद्ययंत्र के साथ छिंदवाड़ा के महाराजा की महाआरती की जाती है
जिसमें कि प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त आरती उतारते हैं।
भव्य पंडाल में विराजेंगे महाराजा
छिंदवाड़ा के महाराजा भव्य वातानुकूलित डॉन्प में स्थापित होंगे जिसका कार्य समिति द्वारा पूर्ण किया जा चुका है।
समिति के संकेत पांडे ने बताया कि प्रतिवर्ष महाराज की मूर्ति 11 फीट की ही होती है जो की लगातार 13 वर्ष में भी समिति द्वारा 11 फीट की मूर्ति विराजमान की जा रही है।
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भव्य हुआ नगर प्रवेश
संस्थापक अमित राय एवं पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री ने बताया कि षष्ठी माता मंदिर से चल समारोह के रूप में श्री छिंदवाड़ा के महाराजा,
की मनमोहक सुंदर प्रतिमा का नगर प्रवेश गाजे-बाजे के साथ किया गया जिसकी अगवानी महाराजा की समिति द लीजेंड लेडी ऑफ छिंदवाड़ा के महाराजा,
की महिलाएं सिर पर कलश रखकर एवं मातृ शक्तियों द्वारा ढोल वादन करते हुए किया गया।
महाराजा की सुंदर, मनमोहक प्रतिमा रथ पर विराजमान रही। जगह-जगह भक्तों ने महाराजा का पूजन अर्चन किया।
इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी एवं गाजे-बाजे के साथ महाराजा का भव्य नगर प्रवेश हुआ जो कि कलेक्टर ऑफिस के सामने से होते हुए स्थापना स्थल गुरैया नाका पहुंचा
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