Chhindwara News : रामाकोना का यह स्थल जुड़ा है राम वन गमन काल से

नवरात्रि में होता है आस्था व श्रद्धा का केंद्र

Chhindwara News : रामाकोना। सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में स्थित पांढुर्णा जिले के सौंसर तहसील में पैठन तुल्य श्री तीर्थ क्षेत्र रामाकोना से लगभग पांच किलोमीटर,

की दूरी पर पांगडी पंचायत के अंतर्गत सितापार में माता भुवनेश्वरी का मंदिर है।

मंदिर में माता भुवनेश्वरी के ठीक समक्ष एक कुंड है।

इस कुंड के संबंध में ऐसी जनश्रुति है कि यह कुंड रामायण काल से जुड़ा हुआ है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम और माता सीता अपने वनवास के दौरान दंडकारण्य क्षेत्र में आए थे और रुके थे।

माता सीता को प्यास लगी और राम ने धरती में एक बाण चलाया और ताजे पानी की धारा फूट पड़ी।

इससे माता सीता ने अपनी प्यास बुझाई।

इस जगह को सीता कुंड के नाम से क्षेत्र में जाना जाता है।

इस क्षेत्र के लोग पशु चराने के लिए जंगल में जाने से पहले सीता कुंड का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं।

इस मंदिर में वर्ष भर लोग आस्था व श्रद्धा के साथ पूजा पाठ करने के लिए आते हैं, तो वह भी इस कुंड का शीतल जल ग्रहण करते हैं।

सीता कुंड से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर रामभक्त हनुमान जी की प्रतिमा है तो वहीं दूसरी ओर इसी कुंड से लगभग 500 मीटर पर धनगौरी बाबा की स्थापना है।

आम लोग माता भुवनेश्वरी के साथ-साथ इन दोनों जगहों पर लगातार प्रार्थना करते हैं।

माता भुवनेश्वरी मंदिर के ठीक बाजू में एक दुसरा कुंड है।

इस कुंड के संबंध में क्षेत्रवासियों का कहना है कि यह गौमुख कुंड है।

जिस जगह से यह पानी आता है वहां पत्थरों में गाय के मुख की तरह आकृति दिखाई देती है।

इस कुंड की धारा सीधे धनगौरी बाबा के पास आकर गहरा नाला में समाहित होती है।

माता भुवनेश्वरी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु इस कुंड के जल से स्नान भी करते हैं।

इस कुंड के संबंध में एक और जनश्रुति सुनने को मिलती है कि भगवान राम और लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के लिए वनवास को जाते हुए सीता माता ने इसी कुंड में स्नान किया था और इस वजह से इसका नाम सीता की नहानी पड़ा।

यह भूतकाल में हुए कई सांस्कृतिक घटनाक्रम का साक्षी है।

इस सम्बन्ध में सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार दिनकर पातुरकर बताते हैं कि प्रभु श्रीराम, अनुज लक्ष्मण,

माता सीता के वनवास (राम वन गमन) के दौरान ग्राम रामाकोना व सीतापार में ठहरने का उल्लेख छिंदवाड़ा के गजेटियर 1907 में लिखित साक्ष्य के रुप में मिलता है।

हाल ही में मध्यप्रदेश शासन ने राम वन गमन पथ के संबंध जानकारी मांगी थी।

यह जानकारी पांढुर्णा जिला कलेक्टर द्वारा शासन को भेजी गई है।

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