संत निवास में धर्मसभा का आयोजन
Mandideep News : मंडीदीप। शरीर आदि सब मिलना तो सहज है, लेकिन सबसे दुर्लभ है बोधि की प्राप्ति।
आचार्यों ने शास्त्रों में कहा है कि देवता भी मनुष्य बनने को तरसते हैं।
मनुष्य पर्याय में उत्तम देश, कुल, सुगति, श्रावक कुल, सम्यक दर्शन, संयम, व्रत की पालना, शुद्ध भाव और अंत में बोधि की प्राप्ति होना सर्वाधिक कठिन है।
उपरोक्त बात संत निवास में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य परम तपस्वी मुनि निराकुल सागर महाराज ने यह बात कही।
मुनिश्री ने कहा कि अगर आपको मनुष्य पर्याय में शरीर मिला है, उसमें भी जैन कुल मिला है तो इसका बुद्धि से उपयोग करो।
इसे धर्म, दान, पूजा, अभिषेक, साधु सेवा, प्रभु भक्ति आदि में लगाओ तभी बोधि की प्राप्ति होगी।
भगवान की प्रतिमा कर्म निर्जरा में हमारे लिए केवल निमित्त है।
इसलिए हमारी बुद्धि में यह भी होना चाहिए कि भगवान न तो लेते हैं, न देते हैं, न देखते हैं, न सुनते हैं, न बोलते हैं।
वह तो हमें बस प्रेरणा देते हैं कि संसार दुख का कारण है।
इसे छोड़ो।
यह बुद्धि हमें बोधि की प्राप्ति करा देती है।
बोधि दुर्लभ भावना का चिंतन करते हुए बार- बार यह सोचना चाहिए कि दुख का नाश हो, कर्म का नाश और बोधि की प्राप्ति हो।
आपमें जो गुण है, वह मुझे प्राप्त हो।
यही प्रार्थना, यही भावना पूरी कर दो।
मेरा अंतिम मरण, समाधि मरण तेरे दर पर हो।
मुनिश्री ने उदाहरण देते हुए समझाया कि हमें इतनी दुर्लभ मनुष्य पर्याय मिली है, उसे क्यों व्यर्थ गंवा रहे हो।
हम भी मनुष्य पर्याय में अपने उत्तम कुल आदि को पहचान नहीं पा रहे और व्यर्थ में इसे भोगों में लगाकर बुद्धि खराब कर रहे हैं।
धर्म सभा में क्षुल्लक तत्वार्थ सागर महाराज उपस्थित रहे।
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