जिम्मेदारों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा किसान
महेंद्र सूर्यवंशी, जुन्नारदेव। लंबे समय से किसी शासकीय भूमि पर अगर किसी व्यक्ति का कब्जा हो या उक्त भूमि पर खेती किसानी की जा रही हो तो शासन द्वारा ऐसे जमीन का व्यक्तियों को पट्टा प्रदान किया जाता है जिससे कि वह उस भूमि का ‘मालिक’ पट्टे के आधार पर बन जाता है।
शासन द्वारा यह नियम उसे समय लाया गया था कि किसी गरीब के पास मकान या जमीन नहीं है तो वह अगर शासकीय भूमि में लंबे समय से काबिज है तो वह उसे पट्टा देकर रहने व खेती किसानी करने के लिए उपयोग कर सकता है न कि उक्त भूमि को किसी और के नाम पर बेच सकता है।
लेकिन कुछ जगहों पर देखने को मिल रहा है कि पट्टाधारी व्यक्ति के द्वारा अन्य किसी व्यक्ति को जमीन बेचकर उसकी रजिस्ट्री तक कर दी है।
ऐसा ही एक मामला जुन्नारदेव ब्लॉक के ग्राम उपली में देखने को मिला जहां चार एकड़ भूमि पर एक किसान द्वारा वर्ष 1985 से काबिज रहकर खेती किसानी की जा रही थी।
इसके बाद उक्त जमीन के पट्टाधारी व्यक्ति के निधन के बाद उनके बच्चों के द्वारा सिंचित भूमि अन्य व्यक्ति के नाम पर रजिस्ट्री कर दी जिसकी शिकायत पास में ही मौजूद खेती करने वाला किसान ने तहसील कार्यालय पहुंचकर की है।
शिकायत में कहा गया है कि पट्टा धारी भूमि की रजिस्ट्री रजिस्ट्रार द्वारा कर दी गई है। इसके बावजूद भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई।
नियमों की उड़ा दी धज्जियां!
तहसील कार्यालय में मौजूद रजिस्ट्रार के द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पट्टे वाली भूमि की रजिस्ट्री कर दी गई जबकि ऐसा कोई भी नियम नहीं है कि पट्टे वाली सिंचित भूमि की रजिस्ट्री की जाए लेकिन लालच के चक्कर में नियमों को तक पर रख दिया गया।
विरोधाभासी बयान
इस संबंध में सब रजिस्ट्रार और क्षेत्रीय पटवारी के विरोधाभासी बयान सामने आए हैं। जुन्नारदेव तहसील में मौजूद प्रभारी सब रजिस्ट्रार संजय चौकीकर से दूरभाष पर चर्चा की गई तो रजिस्ट्रार द्वारा कहा गया कि प्रमाणित दस्तावेज के आधार पर भूमि की रजिस्ट्री की गई है।
जब उपली क्षेत्र के पटवारी ललित उन्नति से चर्चा की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि उक्त पट्टे वाली भूमि की नियम विरुद्ध रजिस्ट्री की गई है जिसको लेकर मेरे द्वारा जांच प्रतिवेदन तैयार कर तहसील कार्यालय में प्रस्तुत कर दिया गया।