अनुराग शुक्ला को हटाकर पूर्णकालिक आरटीओ पदस्थ करने की मांग
Memorandum : छिंदवाड़ा। जिले के प्रभारी आरटीओ अनुराग शुक्ला पर मनमानी और तानाशाही का आरोप
लगाते हुए आज (सोमवार को) आरटीओ एजेंट लामबंद हो गए। सभी एजेंट एकजुट होकर कलेक्ट्रेट पहुंचे
और अनुराग शुक्ला को तत्काल प्रभाव से हटाने एवं स्थाई आरटीओ की पोस्टिंग किए जाने की मांग करने लगे।
लामबंद एजेंटों का आरोप था कि आरटीओ अनुराग शुक्ला बाबूओं द्वारा रखे गए प्राइवेट असिस्टेंट से काम करवाते हैं।
आरटीओ एजेंटों ने बताया कि 10 महीनों से आरटीओ कार्यालय छिंदवाड़ा में स्थाई आरटीओ अधिकारी नहीं है,
शासन द्वारा तत्कालीन आरटीओ मनोज तेहनगुनिया का स्थानांतरण किए जाने के बाद
बैतूल में पदस्थ आरटीओ अनुराग शुक्ला को छिंदवाड़ा-पांढुर्णा का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था
तब से अभी तक प्रभारी आरटीओ के भरोसे दोनों जिले का कामकाज चल रहा है।
उन्होने बताया कि आरटीओ शुक्ला सप्ताह में एक या दो दिन चंद घंटों के लिए छिंदवाड़ा आकर काम करते हैं।
अनुज और हरि से मिलने के निर्देश
आरटीओ एजेंटों ने आरोप लगाए कि अनुराग शुक्ला ने पुराने सभी आरटीओ के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
उनके कार्यकाल में बिना पैसों के किसी भी काम की फाइल आगे नहीं बढ़ सकती है, जिसके लिए
बाबुओं को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। वसूली का काम आरटीओ कार्यालय के बाबूओं द्वारा काम पर रखे गए
‘प्राइवेट बाबुओं’ के हाथों में सौंपा गया है। जिसे भी कोई काम करवाना हो उसे अनुज और हरि से
मिलने का निर्देश दिया जाता है, ये लोग पैसा मिलने की पुष्टि आरटीओ अनुराग शुक्ला को करते हैं
उसके बाद काम होता है अन्यथा किसी भी बहाने से फाइल रोक दी जाती है या महीनों लटकाया जाता है।
फोन रिसीव नहीं करते आरटीओ
ज्ञापन सौंपने पहुंचे आरटीओ एजेंट का कहना था कि पूरे प्रदेश में एक मात्र आरटीओ अनुराग शुक्ला

जो किसी का फोन कॉल रिसीव ही नहीं करते हैं। सिर्फ प्राइवेट बाबुओं के कॉल बराबर रिसीव करते हैं।
कलेक्ट्रेट मीटिंग में भी ‘प्रायवेट बाबू’
सभी का कहना था कि इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी कि यही आरटीओ के प्रायवेट लोग कलेक्टर कार्यालय
में होने वाली साप्ताहिक मीटिंग में कार्यालय की जानकारी उपलब्ध करवाते हैं।
अधिकांश लोगों को तो यहीं नहीं पता कि ये लोग बाबूओं के रखे हुए ‘प्राइवेट बाबू’ हैं।
प्रशासन भी यह सच नहीं पकड़ पाया।
ये भी प्रायवेट असिस्टेंट
इनके अलावा कमलेश, कृष्णा, संतोष, अरविंद, मुकेश, जयंत ये सभी बाबूओं के रखे हुए असिस्टेंट हैं।
ये सभी प्राइवेट लोग हैं, जो सरकारी कामकाज बेधड़क निपटाते हैं। इसी प्रकार गाडिय़ों के फिटनेस,
ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल, परमिट जारी करना, गुइस गाडिय़ों के परमिट सरेंडर करना,
जैसे आदि काम भी साहब की आईडी बिना पैसा आगे नहीं बढ़ती है, छिंदवाड़ा जिले के इतिहास में
ऐसा पहली बार हो रहा है जब लर्निंग लाइसेंस की डेट समाप्त होने के बाद उसके रिन्यूअल जैसे काम के लिए
साहब की मिन्नते करनी पड़ती या अन्यथा ‘चढ़ौती’ चढ़ानी पड़ती है। इसके अलावा बैतूल से प्रायवेट लोग
आते हैं और छिंदवाड़ा आरटीओ कार्यालय से सरकारी फाइलें बैतूल लेकर जाते हैं,
जो साहब के खास लोग बताए जाते हैं। आरटीओ के एजेंट भी मजबूरी में उनको भी साहब ही बोलते हैं,
क्योंकि ये शिकायत कर दें तो उनकी रोजी रोटी भी बंद हो जाएगी।
उक्त गंभीर आरोप लगाते हुए सभी आरटीओ एजेंटों ने आरटीओ अनुराग शुक्ला को हटाकर
पूर्णकालिक आरटीओ पदस्थ किए जाने की मांग प्रशासन से की है।
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