भवन बना, लोकार्पण हुआ नहीं और धराशायी भी कर दिया
Chhindwara News : चौरई। नगर क्षेत्र में लोकार्पण के बिना राज्यसभा सांसद निधि से निर्मित शासकीय सामुदायिक भवन को सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त किए बिना ही गिरा दिया गया है।
नगर पालिका के सीएमओ अभयराज सिंह और उपयंत्री शेख आशिक की मनमानी इस मामले में चरम पर है।
इसके साथ ही परिसर में लाखों की लागत से लगवाए गए पेवर ब्लाक भी उखाड़ दिए गए।
यहां धड़ल्ले से काम भी शुरू हो गया है।
मामले में सरकारी अधिकारियों ने ही शासन को लगभग 25 लाख रुपए का चूना लगा दिया है।
मामले की शिकायतें भी की गईं लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी खाना पूर्ति की गई।
सरकारी राशि को बर्बाद करने में जब सरकार के ही बाशिंदों का हाथ नजर आने लगे तो पूरे सिस्टम पर सवाल उठना लाजमी है।
कुछ ऐसा ही इन दिनों चौरई में चल रहा है।
जांच दल अदृश्य, किसी को पता नहीं!
इस मामले में पिछले दिनों हुई शिकायतों और हल्ला होने के बाद एसडीएम ने जांच दल बनाया था।
यह जांच दल कहां है, क्या कार्रवाई की, जांच रिपोर्ट दी या नहीं, जांच की भी या नहीं, ऐसे कई सवाल अब भी जस के तस खड़े हैं।
जांच दल को लेकर कोई भी जिम्मेदार मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं।
कमीशन के चक्कर में ‘खेला’
सूत्र बताते हैं कि यहां बनने वाले नए भवन निर्माण में मिलने वाले कमीशन के चक्कर में पूरा खेला हो रहा है।
भवन तोडऩे के करीब 15 दिनों बाद पीआईसी की बैठक में भवन तोडऩे और पेबर ब्लाक उखाडऩे का प्रस्ताव लाकर जनप्रतिनिधियों को भी गुमराह करने की साजिश रची गई।
इस पर जागरूक पार्षदों ने जब भवन के स्थल निरीक्षण कर भौतिक सत्यापन की मांग रखी तो अधिकारियों के होश उड़ गए और बैठक निरस्त कर दी गई।
पहले भवन तोड़कर बाद में प्रस्ताव की स्वीकृति की साजिश की पूरी जानकारी जिले एवं स्थानीय स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को होने के बावजूद अभी तक जांच दल बनने के बाद न जांच शुरू हुई न ही कोई कार्रवाई की गई।
जिम्मेदारों की रूचि नहीं
अब तक इस गंभीर मामले पर किसी जिम्मेदार द्वारा कोई रुचि दिखाई गई है।
कहा जा रहा है कि विपक्ष का तो पूरे मामले सहित परिषद में पता ही नहीं है।
विपक्षी पार्षदों को जनहित से कोई लेना देना नहीं है। ये मौन रहकर बर्बादी का समर्थन कर रहे हैं।
नगर में चर्चा है कि विपक्ष का तो अपना काम बनता भटकती रहे जनता की तर्ज पर काम चल रहा है।
कांग्रेस ने साधी चुप्पी
बताया जाता है कि चौरई के कांग्रेस नेता भी ऐसे गंभीर मामलों पर खामोश रहना ही पसंद करते हैं जबकि समन्वय के अभाव में नाराज सत्तापक्ष के पार्षदों ने हल्ला कर रखा है।
इस बीच बड़ा सवाल ये है कि शासन को मनमाने तरीके से लाखों की क्षति पहुंचाने के मामले पर क्या जिम्मेदार अधिकारी कोई एक्शन लेंगे या परंपरा अनुसार मोटी दक्षिणा लिफाफे से ही मामला रफादफा कर दिया जायेगा।
फिलहाल आमजन को उम्मीद तो है कि जिम्मेदार बड़े अधिकारियों के वक्तव्य और आश्वासन के अनुरूप प्रशासन की ओर से ठोस कार्रवाई होगी और दोषियों के विरुद्ध एफआईआर भी की जाएगी आगे मामले पर क्या होगा ?
इसकी प्रतीक्षा नगर में सभी को है।
फिलहाल जांच दल के ढुलमुल रवैए के चलते आगे क्या होगा किसी को पता नहीं।
संभवत: दक्षिणा के लिफाफे की प्रतीक्षा में जांच की रफ्तार थमी हुई है जो लिफाफे मिलने के बाद कागजों तक ही सीमित होकर रफा दफा कर दी जाएगी।
मामला दबाने तोड़े भवन पर स्लैब की तैयारी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिना अनुमति भवन तोड़कर सुर्खयि़ों में आए मुख्य नपा अधिकारी और उपयंत्री मामले को दबाने के लिए तोड़े गए भवन पर गुपचुप तरीके से स्लैप करने की तैयारी में जुटे हैं।
चर्चा है कि क्या दक्षिणा लिफाफे का वजन इतना ज्यादा है कि सब कुछ जानकर भी विपक्ष और अधिकारी मौन बैठे हैं। क्या लिफाफे से खुलेआम मनमानी करने का लायसेंस मिल जाता है अगर ऐसा है तो फिर व्यवस्था भगवान भरोसे ही रहेगी।
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