Personalty : रोहित आर्य वही न्यायाधीश जिन्होने स्टैंड अप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को जमानत देने से मना कर दिया था…

एक राष्ट्र एक चुनाव पर वक्तव्य देने कल छिंदवाड़ा आ रहे पूर्व न्यायमूर्ति

Personalty : छिंदवाड़ा। एक राष्ट्र एक चुनाव पर लोगों की राय लेने भारतीय जनता पार्टी लगातार अभियान चला रही है।

इसके लिए राष्ट्रव्यापी विचार एवं परामर्श सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है।

छिंदवाड़ा में भी 29 मार्च को दोपहर 2 बजे सतपुड़ा लॉ कॉलेज में यह सम्मेलन होने जा रहा है।

इसमें हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रोहित आर्य शामिल होने छिंदवाड़ा आ रहे हैं।

रोहित आर्य की छवि तेज तर्रार जज के तौर पर रही है।

ये हैं जज रोहित आर्य…

जस्टिस आर्य ने 1984 में बतौर वकील कैरियर की शुरुआत की थी।

उन्हें 2003 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का सीनियर वकील नियुक्त किया गया था।

उन्होंने केंद्र सरकार, एसबीआई, टेलीकॉम विभाग, बीएसएनएल और इनकम टैक्स विभाग के लिए भी केस लड़े थे।

उन्हें 2013 में हाई कोर्ट का जज बनाया गया था और 2015 में उन्होंने स्थायी जज के रूप में शपथ ली थी।

जस्टिस आर्य 27 अप्रैल 2024 को रिटायर हुए थे।

श्री आर्य ने हाई कोर्ट से रिटायरमेंट के लगभग तीन महीने बाद भाजपा ज्वाइन कर ली थी।

बाद में उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने एक राष्ट्र, एक चुनाव पर राज्य की समिति के लिए पार्टी का समन्वयक नियुक्त किया।

इन मामलों से आए चर्चा में…

जस्टिस रोहित आर्य यूं तो अपनी कार्यप्रणाली के चलते हमेशा चर्चाओं में रहे लेकिन दो खास मामलों ने

उन्हें अलग पहचान दी। उन्होने ही वर्ष 2021 में स्टैंड अप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

उन्होने मुनव्वर फारुकी के साथ नलिन यादव को धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के मामले में जमानत देने से इंकार कर दिया था।

अपने आदेश में तत्कालीन जज श्री आर्य ने कहा था कि संविधान के मुताबिक सद्भाव और

भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक कर्तव्य है।

हालांकि उच्चतम न्यायालय ने बाद में मुनव्वर फारुकी को जमानत दे दी थी।

दूसरे मामले में जस्टिस आर्या का नाम महिला के साथ अभद्रता करने के आरोपी को जमानत देने पर भी चर्चा में आया था।

उन्होंने अपने जमानत के आदेश में कहा था कि जमानत मांगने वाला सदस्य और उसकी पत्नी

शिकायतकर्ता महिला के घर पर रक्षा बंधन के दिन राखी और मिठाई का डब्बा लेकर जाए।

साथ ही जमानत की शर्तों में कहा गया था कि आरोपी, शिकायतकर्ता महिला की आजीवन रक्षा करेगा।

हालांकि इस निर्देश पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।

Read More…Blame : ‘फर्जी’ प्रमाण पत्र के दम पर जिला पंचायत अध्यक्ष बने पुन्हार ?

Read More…Complaint : उद्घाटन के कुछ देर बाद ही मेले में पुस्तकें मिलना हुई बंद!

Spread The News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *