प्रत्याशी के संकट से जूझ रही कांग्रेस को मैदानी आदिवासी चेहरे की तलाश
Strategy : छिंदवाड़ा। अमरवाड़ा में उपचुनाव होने हैं। भाजपा लोकसभा चुनाव जीतकर खासे उत्साह में है।
प्रदेश में भी भाजपा की ही सरकार है। केंद्र में भी भाजपा सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही है।
लोकसभा चुनावों में पूरे प्रदेश में सभी 29 सीटें जीतकर भाजपा ने क्लीन स्वीप किया है।
ऐसे में अमरवाड़ा उपचुनाव में जीतना भाजपा के लिए जरूरी हो जाता है।

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दूसरी ओर कांग्रेस लोकसभा चुनावों में मिली अप्रत्याशित हार से उबरने में लगी है लेकिन इस बीच बुधवार को सभी विधायकों और जिले के पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में नकुलनाथ ने कह दिया कि वे बोरया बिस्तर बांधकर नहीं जा रहे हैं।
तीन महीने बाद आएंगे और अमरवाड़ा जीतेंगे। उन्होने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया है।
पूर्व सांसद नकुल नाथ के इस वक्तव्य के बाद कांग्रेस के ही गलियारों में अमरवाड़ा से प्रत्याशी को लेकर चर्चाएं चल निकलीं।
इनमें तामिया छिंदी क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य नवीन मरकाम और ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष चंपालाल कुर्चे के नाम सामने आए।
लेकिन इन दोनों ही नामों को लेकर कांग्रेस जीत के प्रति संशय की स्थिति में है।
कांग्रेस से इस्तीफा देकर और विधायकी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए राजा कमलेश शाह को यदि भाजपा मैदान में उतारती है तो टक्कर कांटे की होगी यह लोकसभा के परिणामों में भी दिखाई दे गया है।
जो कांग्रेसी ये कह रहे थो कि कमलेश शाह के भाजपा में जाने से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ेगा वे अब मुंह छुपाते नजर आ रहे हैं।

लोकसभा चुनावों के परिणामों में अमरवाड़ा के उपचुनावों की झलक नजर आ गई है इसलिए कांग्रेस कोई दमदार चेहरा खोज रही है।
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सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस की तलाश गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के देवीराम उर्फ देवरावेन भलावी पर आकर रुक सकती है।
इस लोकसभा चुनावों में देवरावेन गोंगपा का उम्मीदवार था। उसने 55 हजार 988 वोट हासिल किए। इससे कांग्रेस ‘लोकल आदिवासी’ कार्ड खेल सकती है।
देवरावेन का कांग्रेस के लिए साफ्ट कार्नर!
सूत्र बताते हैं कि देवीराम उर्फ देवरावेन भलावी का कांग्रेस के लिए हमेशा से ही साफ्ट कार्नर रहा है।
वह भाजपा पर इस लोकसभा और पिछले विधानसभा चुनावों में आदिवासी वोटरों के बीच जितना ‘बरसा’ है उसके मुकाबले कांग्रेस के खिलाफ कुछ नहीं बोला।
इससे उसे कांग्रेस में आसानी से एंट्री मिल सकती है।
बहरहाल स्थिति जो भी हो लोकसभा के परिणामों के बाद अमरवाड़ा उपचुनावों पर अब चर्चाएं शुरू हो गई हैं जो धीरे-धीरे तेज होती चलेंगी।
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