सार्वजनिक जल स्रोतों के समीप नहीं किए जा सकेंगे नलकूप खनन
Government Order : छिंदवाड़ा। इस वर्ष वर्षाकाल में जिले में सामान्य वर्षा हुई है, किन्तु जिले के पेयजल
स्त्रोतों के जलस्तर में कमी आई है एवं पेयजल स्त्रोतों के जल स्तर में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है।
इससे जिले में पेयजल संकट की स्थिति निर्मित होने की संभावना है।
पेयजल संकट की स्थिति को देखते हुए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के कार्यपालन यंत्री द्वारा
अनुशंसा की गई है, कि सार्वजनिक जल स्रोतों के समीप निर्माण किये जा रहे निजी जल स्रोतों
जैसे नलकूप खनन, कुंआ आदि पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया जाये, जिससे सार्वजनिक पेयजल स्रोतों की क्षमता प्रभावित न हो।

जनहित में पेयजल एवं अन्य निस्तार समस्याओं को देखते हुये छिंदवाड़ा जिले को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जाये।
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह द्वारा मप्र पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-3 में
प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये जनहित में छिंदवाड़ा जिले को तत्काल प्रभाव से 15 जून 2025 या वर्षा प्रारंभ होने
तक की अवधि के लिये जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया है एवं आदेशित किया गया है कि
कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र में किसी भी शासकीय भूमि पर स्थित
जल स्रोतों में पेयजल तथा घरेलू प्रयोजनों को छोड़कर अन्य किसी प्रयोजनों के लिये किन्हीं भी
साधनों द्वारा जल उपयोग नहीं करेगा।
छिंदवाड़ा जिले की सभी नदी, नालों स्टापडेम, सार्वजनिक कुओं तथा अन्य जल स्रोतों
का उपयोग केवल पेयजल एवं घरेलू प्रयोजन के लिये तत्काल प्रभाव से सुरक्षित किया जाता है।
छिंदवाड़ा जिले के जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति स्वयं अथवा प्राईवेट ठेकेदार
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के पूर्व अनुज्ञा प्राप्त किये बिना किसी भी प्रयोजन के लिये
नवीन नलकूप का निर्माण नहीं करेगा। जिन व्यक्तियों को अपनी निजी भूमि पर नलकूप खनन कार्य कराना है,
उन्हें ऐसा करने के लिये निर्धारित प्रारूप में निर्धारित शुल्क के साथ, संबंधित अनुविभागीय (राजस्व) को आवेदन करना होगा।
शासकीय नलकूप से 150 मीटर के दायरे के अंतर्गत किसी नवीन नलकूप खनन पूर्णत: प्रतिबंधित है।
निजी नलकूप खनन की गहराई खनित शासकीय नलकूप से कम रहेगी।

इस कार्य के लिये छिंदवाड़ा जिले को जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)
को उनके क्षेत्राधिकार के अंतर्गत प्राधिकृत किया गया है।
अनुविभागीय अधिकारी अनुमति देने के पूर्व आवश्यक जांच एवं परीक्षण की कार्यवाही पूर्ण कर लें
तथा अनुमति दिये जाने के संबंध में संबंधित क्षेत्र के सहायक यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
विभाग से अभिमत/अनुशंसा प्राप्त करेंगे।
जल अभावग्रस्त क्षेत्र में सार्वजनिक पेयजल स्रोत सूख जाने के कारण वैकल्पिक रूप से दूसरा
कोई सार्वजनिक पेयजल स्रोत उपलब्ध नहीं होने पर जनहित में संबंधित अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)
उस क्षेत्र के निजी पेयजल स्रोत को पेयजल परिरक्षण संशोधित अधिनियम 2002 के सेक्शन 4 (ए) तथा 4 (बी)
के प्रावधानों के अधीन अधिग्रहण निश्चित अवधि के लिये कर सकेंगे।
आदेशों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध मप्र पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1988 की धारा-9
एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 1986 के अंतर्गत दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।
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