आज शाम तक हो जाएगी मंडल अध्यक्षों के नाम की घोषणा
BJP News : छिंदवाड़ा। जिले में मंडल अध्यक्षों के नाम को लेकर बुधवार को भाजपा कार्यालय में रायशुमारी हो गई।
गुरूवार शाम तक स्कूटनी और अन्य प्रक्रियाओं के बाद मंडल अध्यक्षों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी।
इस रायशुमारी के दौरान कुछ बातें जो निकलकर आईं उनमें महत्वपूर्ण है गाइडलाइन का पालन।
हमेशा से रीति-नीति पर चलने की पक्षधर रही भाजपा अपनी ही गाइडलाइन (आचार संहिता) का कितना पालन कर रही है यह भी इन मंडल चुनावों से साफ हो जाएगा।

बहरहाल इस रायशुमारी के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म है।
जिला बदर भी प्रयास में…!
भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी की गाइडलाइन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति को, गबन के आरोपी को फ्रंट लाइन का पद नहीं दिया जाएगा।
मंडल अध्यक्ष फ्रंट लाइन का पद ही माना जाता है।
इसके बावजूद एक जिला बदर रह चुका व्यक्ति भी मंडल अध्यक्ष के लिए दावेदारों की लाइन में लगा नजर आ रहा है।
एक दावेदार पर तो गबन का आरोप भी न्यायालय से सिद्ध हो चुका है, उसके बावजूद उसका नाम फाइनल माना जा रहा है।
हालांकि घोषणा होने के बाद इस मामले में भी साफ हो जाएगा कि पार्टी ने गाइडलाइन का कितना पालन किया?
कांग्रेस से आए और लगे लाइन में…!
भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा है कि जिले में कांग्रेस से आए कुछ लोगों को भी मंडल अध्यक्ष बनाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

उनमें से कुछ नाम भी लगभग तय माने जा रहे हैं।
बताया जाता है कि ये दो बार के सक्रिय सदस्य नहीं हैं फिर भी इनके नामों की घोषणा की जा सकती है।
पार्टी गाइडलाइन में ये…
नहीं आएगी नेताओं की सिफारिश काम
इस बार मंडल अध्यक्ष बनने के लिए विधायक, सांसद, पदाधिकारियों की सिफारिश काम नहीं आएगी।
केंद्रीय नेतृत्व के साफ निर्देश है कि कर्मठ और जुझारू तरीके से काम करने वालों को ही पद मिलेगा।
यदि किसी को सिफारिश से कमेटी में पद दिया जाता है तो उसकी शिकायत केंद्रीय नेतृत्व को सीधे की जाएगी।
दो बार का सक्रिय सदस्य और पदाधिकारी रहना जरूरी
सूत्रों के मुताबिक तय किया गया है कि किसी को भी मंडल अध्यक्ष तभी बनाया जा सकेगा, जब वह दो बार का सक्रिय सदस्य हो।
दो बार के सक्रिय सदस्य बनने के लिए 2019 में भी सक्रिय सदस्य बनना जरूरी होगा, क्योंकि इसके बाद सक्रिय सदस्यता अभियान नहीं चला और संगठन चुनाव नहीं हुए हैं।
अगर किसी भी बाहरी दल से आए हुए कार्यकर्ता ने 2019 के बाद पार्टी जॉइन की है तो वह इस दायरे से बाहर हो जाएगा।
यह भी तय किया गया है कि जिसे भी मंडल या जिला अध्यक्ष बनाया जाएगा, वह कम से कम दो बार पार्टी में किसी न किसी पद पर पदाधिकारी रहा हो।
वहीं, दो बार मंडल अध्यक्ष या जिला अध्यक्ष रह चुके लोगों को भी रिपीट नहीं किया जाएगा।
चुनावों में विरोधी की मदद करने वाले भी अयोग्य होंगे भाजपा ने अपनी आचार संहिता में यह भी तय किया है कि मंडल अध्यक्ष या जिला अध्यक्ष वही बन सकेंगे, जिनकी कभी भी निष्ठा संदिग्ध न रही हो।
यानी अगर कोई भी कार्यकर्ता पर लोकसभा, विधानसभा या निकाय चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है तो वह चुनाव लडऩे के अयोग्य माना जाएगा।
यह भी देखा जाएगा कि जिस पर किसी भी तरह का कोई आपराधिक मामला दर्ज रहा हो, उसे भी अध्यक्ष न बनाया जाए।
इसकी सीधी जिम्मेदारी जिला चुनाव प्रभारियों, सह चुनाव प्रभारियों और जिलों में भेजे गए पार्टी के पर्यवेक्षकों की रहेगी।
आम सहमति पर भी फोकस
यह भी तय किया गया है कि मंडल और जिले के अध्यक्ष का चुनाव आम सहमति से हो।
कोशिश होगी कि ज्यादातर जगह आम सहमति से ही अध्यक्ष तय कर लिए जाएं और चुनाव की नौबत न आए।
इसकी सीधी जिम्मेदारी पर्यवेक्षकों को दी गई है।
विधायकों, सांसदों और महापौर की संगठन चुनाव में राय तो ली जाएगी, पर उनकी सिफारिश पर ही कोई नियुक्ति नहीं होगी।
वर्तमान में जनप्रतिनिधि न हो…
मंडल अध्यक्ष के लिए स्वच्छ छवि और अच्छे सामाजिक संपर्कों के अलावा यह भी कहा गया है कि वे वर्तमान में जनप्रतिनिधि न हों।
इसके अलावा 2019 और 2024 में सक्रिय सदस्य होने के बाद वर्तमान में संगठन में किसी दायित्व में होना आवश्यक बताया गया है।
अब देखना यह है कि उपरोक्तम नियमों का पालन करते हुए या उन्हें ताक पर रखकर नामों की घोषणा की जाती है।
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